जब किसी देश/राज्य के समक्ष आवश्यकताएँ अनन्त हो, उनकी पूर्ति के संसाधन सीमित हो तो वैसे में आवश्कता होती है योजनावद्ध विकास की। अतः सीमित संसाधनों के माध्यम से देश की तात्कालीन आवष्यकताओं के लिए निर्धारित प्राथमिकता के क्रम में तीव्रतर विकास हेतु किया गया प्रयत्न ही योजना है।