RTI का मतलब सूचना का अधिकार है। सूचना का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत मौलिक अधिकारों का एक हिस्सा है। अनुच्छेद 19(1) कहता है कि प्रत्येक नागरिक को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। 1976 की शुरुआत में, सुप्रीम कोर्ट ने राज नारायण बनाम यूपी राज्य के मामले में कहा कि लोग तब तक बोल या व्यक्त नहीं कर सकते जब तक वे नहीं जानते। इसलिए, सूचना का अधिकार अनुच्छेद 19 में अंतर्निहित है। उसी मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि भारत एक लोकतंत्र है। लोग मालिक हैं। इसलिए, मालिक को यह जानने का अधिकार है कि उनकी सेवा करने के लिए बनी सरकारें कैसे काम कर रही हैं। इसके अलावा, प्रत्येक नागरिक करों का भुगतान करता है। यहां तक कि सड़क पर एक भिखारी भी जब बाजार से साबुन का एक टुकड़ा खरीदता है तो वह कर (बिक्री कर, उत्पाद शुल्क आदि के रूप में) चुकाता है। इसलिए नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि उनका पैसा कैसे खर्च किया जा रहा है। इन तीन सिद्धांतों को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए निर्धारित किया था कि RTI (Right to Information) मौलिक अधिकारों का एक हिस्सा है
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अगर RTI (Right to Information) एक मौलिक अधिकार है,
तो हमें यह अधिकार देने के लिए एक अधिनियम की आवश्यकता क्यों है ?
ऐसा इसलिए है क्योंकि यदि आप किसी सरकारी विभाग में गए और वहां के अधिकारी से कहा, ” RTI (Right to Information) मेरा मौलिक अधिकार है, और मैं इस देश का मालिक हूं। इसलिए, कृपया मुझे अपनी सभी फाइलें दिखाएं”, वह ऐसा नहीं करेंगे। पूरी संभावना है कि वह आपको अपने कमरे से बाहर निकाल देगा। इसलिए हमें एक ऐसी मशीनरी या प्रक्रिया की आवश्यकता है जिसके द्वारा हम इस मौलिक अधिकार का प्रयोग कर सकें। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005, जो 13 अक्टूबर 2005 को प्रभावी हुआ, वह तंत्र प्रदान करता है। अतः सूचना का अधिकार अधिनियम हमें कोई नया अधिकार नहीं देता है। यह केवल जानकारी के लिए आवेदन कैसे करें, कहां आवेदन करें, कितना शुल्क आदि के बारे में प्रक्रिया बताता है rti online
सूचना का अधिकार एक परिचय
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 अपनी यात्रा में काफी उपलब्धियां हासिल कर चुका है। नागरिकों न केवल महत्वपूर्ण सूचनाएं ही प्राप्त हो रही हैं बल्कि ये सूचनाएं कई बार सिर्फ सूचनाओं तक ही नहीं सीमित होकर अपनी उपयोगिता कई परिप्रेक्ष्य में सिद्ध करती है। केंद्र राज्य स्तर पर सभी विभागों में सूचना का अधिकार लागू कर दिया गया है और इसके लिए अलग विभाग से लेकर कार्यालयों में सूचना की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए कार्यरत कर्मचारियों को मनोनीत लोक सूचना अधिकारी के रुप में नियुक्त किया गया गया है। सूचना की अनुपलब्धता की स्थिति में प्रथम अपीलीय प्राधिकारी, द्वितीय अपील के साथ कुछ विशेष स्थितियों में सीधे तौर आयोग में भी अपील की जा सकती है। कई राज्यों ने सूचना के अधिकार में लोगों की सहायता के लिए सूचना और प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए पूरी तरह से समर्पित आरटीआई की वेबसाईट का निर्माण किया है और आवेदन करने और उसे जमा करने के लिए ऑनलाईन का विकल्प भी उपलब्ध कराया है। कुछ राज्यों ने टोल फ्री नंबर की सेवा भी प्रारंभ की है।
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शिकायत कब करें
इस अधिनियम के प्रावधान 18 (1) के तहत यह केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग का कर्तव्य है, जैसा भी मामला हो, कि वे एक व्यक्ति से शिकायत प्राप्त करें और पूछताछ करें।
- जो केन्द्रीय सूचना लोक अधिकारी या राज्य सूचना लोक अधिकारी के पास अपना अनुरोध जमा करने में सफल नहीं होते, जैसा भी मामला हो, इसका कारण कुछ भी हो सकता है कि उक्त अधिकारी या केन्द्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी या राज्य सहायक लोक सूचना अधिकारी, इस अधिनियम के तहत नियुक्त न किया गया हो जैसा भी मामला हो, ने इस अधिनियम के तहत अग्रेषित करने के लिए कोई सूचना या अपील के लिए उसके आवेदन को स्वीकार करने से मना कर दिया हो जिसे वह केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी या धारा 19 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट राज्य लोक सूचना अधिकारी के पास न भेजे या केन्द्रीय सूचना आयोग अथवा राज्य सूचना आयोग में अग्रेषित न करें,जैसा भी मामला हो।
- जिसे इस अधिनियम के तहत कोई जानकारी तक पहुंच देने से मना कर दिया गया हो। ऐसा व्यक्ति जिसे इस अधिनियम के तहत निर्दिष्ट समय सीमा के अंदर सूचना के लिए अनुरोध या सूचना तक पहुंच के अनुरोध का उत्तर नहीं दिया गया हो।
- जिसे शुल्क भुगतान करने की आवश्यकता हो, जिसे वह अनुपयुक्त मानता / मानती है।
- जिसे विश्वास है कि उसे इस अधिनियम के तहत अपूर्ण, भ्रामक या झूठी जानकारी दी गई है।
- इस अधिनियम के तहत अभिलेख तक पहुंच प्राप्त करने या अनुरोध करने से संबंधित किसी मामले के विषय में।
सुचना प्राप्ति की प्रक्रिया
- आप सूचना के अधिकार अधिनियम- 2005 के अंतर्गत किसी लोक प्राधिकरण (सरकारी संगठन या सरकारी सहायता प्राप्त गैर सरकारी संगठनों) से सूचना प्राप्त कर सकते हैं।
- आवेदन हस्तलिखित या टाइप किया होना चाहिए। आवेदन प्रपत्र भारत विकास प्रवेशद्वार पोर्टल से भी डाउनलोड किया जा सकता है। आवेदन प्रपत्र डाउनलोड संदर्भित राज्य की वेबसाईट से प्राप्त करें
- आवेदन अँग्रेजी, हिन्दी या अन्य प्रादेशिक भाषाओं में तैयार होना चाहिए।
- अपने आवेदन में निम्न सूचनाएँ दें:
- सहायक लोक सूचना अधिकारी/लोक सूचना अधिकारी का नाम व उसका कार्यालय पता,
- विषय: सूचना का अधिकार अधिनियम- 2005 की धारा 6(1) के अंतर्गत आवेदन
- सूचना का ब्यौरा, जिसे आप लोक प्राधिकरण से प्राप्त करना चाहते हैं,
- आवेदनकर्त्ता का नाम,
- पिता/पति का नाम,
- वर्ग- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ी जाति
- आवेदन शुल्क
- क्या आप गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) परिवार से आते हैं- हाँ/नहीं,
- मोबाइल नंबर व ई-मेल पता (मोबाइल तथा ई-मेल पता देना अनिवार्य नहीं)
- पत्राचार हेतु डाक पता
- स्थान तथा तिथि
- आवेदनकर्त्ता के हस्ताक्षर
- संलग्नकों की सूची
- आवेदन जमा करने से पहले लोक सूचना अधिकारी का नाम, शुल्क, उसके भुगतान की प्रक्रिया आदि के बारे में जानकारी प्राप्त कर लें।
- सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सूचना प्राप्त करने हेतु आवेदन पत्र के साथ शुल्क भुगतान का भी प्रावधान है। परन्तु अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति या गरीबी रेखा से नीचे के परिवार के सदस्यों को शुल्क नहीं जमा करने की छूट प्राप्त है।
- जो व्यक्ति शुल्क में छूट पाना चाहते हों उन्हें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/बीपीएल प्रमाणपत्र की छायाप्रति जमा करनी होगी।
- आवेदन हाथो-हाथ, डाक द्वारा या ई-मेल के माध्यम से भेजा जा सकता है।
- यदि आप आवेदन डाक द्वारा भेज रहे हैं तो उसके लिए केवल पंजीकृत (रजिस्टर्ड) डाक सेवा का ही इस्तेमाल करें। कूरियर सेवा का प्रयोग कभी न करें।
- आवेदन ई-मेल से भेजने की स्थिति में जरूरी दस्तावेज का स्कैन कॉपी अटैच कर भेज सकते हैं। लेकिन शुल्क जमा करने के लिए आपको संबंधित लोक प्राधिकारी के कार्यालय जाना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में शुल्क भुगतान करने की तिथि से ही सूचना आपूर्ति के समय की गणना की जाती है।
- आगे उपयोग के लिए आवेदन पत्र (अर्थात् मुख्य आवेदन प्रपत्र, आवेदन शुल्क का प्रमाण, स्वयं या डाक द्वारा जमा किये गये आवेदन की पावती) की 2 फोटोप्रति बनाएं और उसे सुरक्षित रखें।
- यदि अपना आवेदन स्वयं लोक प्राधिकारी के कार्यालय जाकर जमा कर रहे हों, तो कार्यालय से पावती पत्र अवश्य प्राप्त करें जिसपर प्राप्ति की तिथि तथा मुहर स्पष्ट रूप से अंकित हों। यदि आवेदन रजिस्टर्ड डाक द्वारा भेज रहे हों तो पोस्ट ऑफिस से प्राप्त रसीद अवश्य प्राप्त करें और उसे संभाल कर रखें।
- सूचना आपूर्ति के समय की गणना लोक सूचना अधिकारी द्वारा प्राप्त आवेदन की तिथि से आरंभ होता है।
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