पैक्स संकुल
मुख्यमंत्री हरित कृषि संयंत्र योजना योजना का परिचय
योजना के कार्यान्वयन से पैक्स में कृषि संयंत्र यथा ट्रैक्टर ट्रॉली, थ्रेसर, कल्टीवेटर एवं अन्य कृषि उपकरण उपलब्ध कराया जायेगा। इससे ग्रामीण स्तर पर कृषकों को कृषि कार्य में सुविधा होगी एवं पैक्सों के नियमित आय का स्रोत भी विकसित होगा। इस योजना से ग्रामीण स्तर पर स्वरोजगार का भी सृजन होगा। पंचायत स्तर पर प्राथमिक कृषि साख समिति (पैक्स) गठित है, जिनका प्रबंधन निर्वाचित कार्यकारिणी के द्वारा संचालित रहता है। पैक्सों/ पैक्स संकुल में कृषि यंत्र बैंक की स्थापना से पैक्सों के सदस्यगण तथा उक्त पंचायत के अन्य किसान भी स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कृषि यंत्रों को किराए पर प्राप्त कर सुलभता से आधुनिक कृषि कार्य सम्पादित कर सकेंगे। यह योजना कृषि प्रधान बिहार राज्य के विकास में सहायक होगा।
योजना का नाम -मुख्यमंत्री हरित कृषि संयंत्र योजना
योजना अवधि – वर्ष 2018-19 से 2019-20 तक
कुल योजना लागत राशि- मो. 1692.60 करोड
प्रति पैक्स योजना लागत राशि- मो. 20.00 लाख
योजनान्तर्गत क्रियान्वित जिले 38
लाभुक 8463 प्राथमिक कृषि साख समिति (पैक्स)
पैक्सों में कुल सदस्यों की संख्या – 1.16 करोड़ (लगभग) ।
योजना कार्यान्वयन एजेंसी जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक
नोडल पदाधिकारी जिला सहकारिता पदाधिकारी
वित्त पोषक संस्था राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC)
उद्देश्य
* पैक्स को एक सतत् व्यापार संगठन के रुप में विकसित कराना।
* पैक्स को व्यापार एवं ग्रामीण विकास का भागीदार बनाना।
܀ पैक्स और किसानों के आय स्रोत को बढ़ाना।
- कृषि परिचालन लागत को घटाना।
- ग्रामीण क्षेत्र को तकनीकी अनुकूल बनाना।
योजना से लाभ
ग्रामीण स्तर के सभी लोगों को लाभ प्राप्त होगा।
* कृषि यंत्र क्रय हेतु पैक्सों को 50% अनुदान उपलब्ध करायी जायेगी।
܀ पैक्सों को ऋण आसानी से उपलब्ध होगी
पैक्स के सदस्यगण एवं अन्य किसानों को कृषि कार्य संपादित करने में सुलभता होगी।
पैक्स के नियमित आय का श्रोत विकसित होगा।
ग्रामीण स्तर पर स्वरोजगार का सृजन होगा।
स्थानीय स्तर पर कृषि यंत्रों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी।
योजना कृषि प्रधान बिहार राज्य के विकास में सहायक होगा।
सहकारिता विभाग बिहार राज्य त्रिस्तरीय सहकारी सब्जी प्रसंस्करण एवं विपणन व्यवस्था
बिहार सब्जी उत्पादन एवं उत्पादकता के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में से एक, जल, जलवायु, उपयुक्त मिट्टी एवं सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में पारम्परिक दक्षता के कारण सब्जी उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन एवं विपणन के क्षेत्र में अपार संभावना
वर्तमान में सब्जी उत्पादकों को उत्पाद का सही मूल्य नहीं मिल पाना एवं ग्राहकों को उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण सब्जी उपलब्ध नहीं हो पाना मुख्य कठिनाईयों में शामिल ;
भंडारण, शीत भंडारण, शीत श्रृंखला के अभाव के कारण Post Harvesst Losses तथा प्रबंधन इस प्रक्षेत्र की मुख्य समस्याएँ
इन समस्याओं को दूर करने के लिए मंत्री परिषद् के द्वारा अत्यंत अर्थपूर्ण कदम उठाते हुए बिहार राज्य सब्जी प्रसंस्करण एवं विपणन योजना को प्रशासनिक मंजूरी ;
इस योजना का मुख्य उद्धेश्य एक प्रभावी सब्जी आपूर्ति श्रृंखला का सृजन करना है जिसका मुख्य उद्धेश्य सब्जी उत्पादकों को उचित मूल्य दिलाना, ग्राहकों को उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण सब्जी की आपूर्ति सुनिश्चित करना, सब्जी प्रक्षेत्र में प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्दान करना तथा रोजगार की संभावनाओं की फलीभूत करना शामिल है।
योजना के अर्न्तगत त्रिस्तरीय सहकारी व्यवस्था के अर्न्तगत् प्रखंड स्तर पर प्राथमिक सब्जी उत्पादक सहकारी समितियों का गठन किया जायेगा जिसके सदस्य सब्जी उत्पादक किसान होगें। सब्जी उत्पादकों से सब्जी का संग्रहण कर प्रखंड स्तर पर sorting Grading सब्जी हाट, लधु शीत भंडारण आदि की व्यवस्था के माध्यम से योजना के उद्धेश्यों की प्राप्ति की जायेगी।
क्षेत्रीय स्तर पर कुछ जिलों की प्राथमिक सब्जी उत्पादक सहयोग समितिया को मिलाकर एक सब्जी प्रसंस्करण एव विपणन संध का गठन किया जायेगा। संध स्तर पर आवश्यक अधिसंरचनात्मक तकनिकी -प्रबंधकीय व्यवस्था के माध्यम से सब्जी का प्रसंस्करण, शीत भंडारण एवं विपणन सुनिश्चित किया जायेगा।
शीर्ष स्तर पर सब्जी प्रसंस्करण एवं विपणन फेडरेशन का गठन किया जायेगा जो पूरे व्यवस्था को संगठनात्मक नेतृत्व तथा प्रबंधकीय एवं तकनिकी समर्थन देगा।
प्रथम चरण में बिहार के पाँच जिलों- वैशाली, समस्तीपुर, बेगुसराय, नालंदा एवं पटना की प्रखंड स्तरीय प्राथमिक सब्जी उत्पादक सहकारी समितियों को मिलाकर एक प्रसंस्करण एवं विपणन संध का गठन किया जायेगा जिसका मुख्यालय पटना जिलार्न्तगत अवस्थित होगा।
योजना कार्यान्वयन के द्वितीय चरण में तीन और संघ का गठन किया जायेगा।
योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए एक Special Purpose Vehicle का गठन किया जा रहा है जो कि योजना को Turn Key Stage तक ले जायेगा।
योजना के कार्यान्वयन की कार्रवाई प्रारम्भ हो चुकी है तथा प्राथमिक सब्जी उत्पादक सहकारी समितियों का गठन किया जा रहा है।
योजना का अर्थपूर्ण कार्यान्वयन बिहार के कृषि अर्थव्यवस्था हेतु मील का पत्थर साबित होगा।