किसानों के ऑनलाईन पंजीकरण
बिहार सरकार की इस योजना को कृषि विभाग के द्वारा चलाया जा रहा है।
किसानों ऑनलाईन पंजीकरण कैसे करें ?
लाभार्थी- सभी पंजीकृत किसान
लाभ का अंश
(1) किसान को बैंक खाते में सीधे वित्तीय लाभ देने की व्यवस्था की गई है।
(2) सभी प्रकार के कृषि अनुदानों / उत्पादनों का लाभ सीधे किसान को मिलता है।
दस्तावेज क्या क्या लगेगा:-
पासपोर्ट साईज फोटो
पहचान पत्र
जाति (श्रेणी/कोटी) प्रमाण पत्र
आवेदन कैसे करें:-
(क) कृषि विभाग के वेबसाईट htt://www.krishi.bih.nic.in के दिय लिंक KRISHI MIS पर लॉग इन करें ।
(ख) Farmer Registration के बटन पर क्लिक करें ।
(ग) पासपोर्ट साईज फोटो पहचान पत्र एवं जाति (श्रेणी/कोटी) प्रमाण पत्र की स्कैन कॉपी को अपलोड करे ।
(घ) सभी को Submit करने के बाद आई०डी० को नोट कर ले तथा Receipt को प्रिन्ट कर ले ।
मनुष्य जब घुमन्तु जीवन से कृषि की ओर अग्रसर हुआ | तो ग्रामीण जीवन का विकास प्रारम्भ हुआ। कृषि कार्य के लिए स्थिर स्थान पर निवास करना आवश्यक था। इससे गाँवो का विकाश शुरू हुआ और इसके परिणाम स्वरूप प्रामीण जीवन प्रारंभ हुआ।
भारत एक ग्राम प्रधान देश है इसकी दो-तिहाई जनसंख्या गाँवो में निवास करती हैं जिसका मुख्य व्यवसाय आज भी कृषि एवं कृषि संबंधी कार्य है। इस प्रकार कृषिक संरचना भारतीय ग्रामीण संरचना का आधार है। यह वर्ग स्वयं तथा अपने परिवार के श्रम के द्वारा उत्पादन करता है और अपने परिवार का भरण-पोषण करता है।
आजादी के बाद भारत सरकार एवं बिहार सरकार ने विभिन्न कृषिक विद्वानों के माध्यम से से परम्परागत ग्रामीण संरचना में कृषि कार्यों को प्रगतिशील बनाने का प्रयास किया है। इस कार्य में भूमि संरक्षण उपादेयकरण विखण्डित क्षेत्री का एकत्रीकरण उन्नत बीज खाद उर्वरक कीटनाशक दवाइयाँ कृषि के लिए उन्नत तकनीक एवं वैज्ञानिक विधिया आदि इसके अन्तर्गत शामिल है।
कृषको तथा अन्य सामान्य आवश्यकता वाले व्यक्तियों के बीच स्वयं सहायता मित्रता एवं उन्नति में सहायता के लिए सहकारी सोसाईटी गठन का वर्ष 1904 में किया गया। वर्तमान में संशोधित बिहार सहकारी सोसाईटी अधिनियम 1935 लागू है।
सरकार की सहकारी नीति निम्नलिखित बनाये गये है।
(क) समाज के विशेषतः कमजोर वर्ग का आर्थिक सामाजिक विकास सहकारिता के माध्यम से हो ।
(ख) सहकारी समितियों में सदस्यों का स्वामित्व प्रबंधन एवं नियंत्रण का अवसर सुलभ रहे और इनका लोकतांत्रिक स्वरूप बहाल रहे ।
(ग) सहकारी संस्थानों में समुदाय के कमजोर वर्गों और महिलाओं की सहभागिता सुनश्चित हो
(घ) समाज के वंचित तबकों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सहकारी समितियों के स्वैच्छिक संगठन का मार्ग प्रशस्त हो ।
(ड) सहकारी समितियों को सबल और सक्षम बनाया जाय ताकि ये अपने सदस्यों को बेहतर सेवा उपलब्ध करा सके ।
(च) रोजगारोन्मुखी कार्यक्रमों जैसे महिला विकास बुनकर, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन, दुग्ध विकास प्रसंस्करण ईकाई की स्थापना तथा सहयोगी समितियों के माध्यम से कुटीर उद्योगों के विकास के लिए पणन का व्यवसाय विकसित हो ।
Read more: किसानों ऑनलाईन पंजीकरण कैसे करें ?